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रावण: चार ठो चित्र / अनिरुद्ध प्रसाद विमल

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1. दशहरा के दिन छेलै
रावण आगिन में जली रहलोॅ छेलै
पटाखा छूटी रहलोॅ छेलै
चिनगारी सें पाटी रहलोॅ छेलै सरंग
तखनिये रावण जोरोॅ सें हँसलै
तमाशा देखी रहलोॅ लोगोॅ सें कहलकै
अरे, आपनोॅ भड़ास हमरा पर कैन्हेॅ निकालै छैं
हम्में तेॅ तोरा अन्दर ढुकी केॅ बैठलोॅ छियौ
ओकरा कैन्हेॅ नै जलावै छैं ।

2. सड़कोॅ किनारी में बैठलोॅ छेलै रावण
करि रैल्होॅ छेलै
अपना बीतला दिनोॅ के स्मरण
तभिये वें भीड़ भरलोॅ सड़कोॅ पर
एक नया-नया बिहा करलोॅ जोड़ा केॅ
आवारा गंुडा सें घिरलोॅ देखलकै
सीता चींखी रहलोॅ छेलै
आरो राम बेवश बँधलोॅ छेलै
भीड़ चुप छेलै डरोॅ सें
मदद लेली कोय भी नै एैलेॅ
तभिये जोरोॅ सें रावण हँसलै
भीड़ोॅ सें कहलकै
हम्में दंग छियै देखी केॅ
धरती रोॅ आचरण
होय रहलोॅ छै आयतक सीता के महामरण ।

3. सौसे भारत घूमी रहलोॅ छेलै रावण
धरती तांय घूमी केॅ भारत एैलोॅ छेलै
नेता सें लैकेॅ अफसर, चपरासी तांय
संसद आरो सड़क तांय
भ्रश्ट आचरण सें भरलोॅ छेलै
विथा पीर सें भरलोॅ कानें लागलै रावण
कानतें देखी एक आदमी रावण सें पूछलकै
‘‘रावण तोंय कैन्हेॅ कानै छोॅ
रावणें कहलकै-
सच्चेॅ में रावण नै मरलोॅ छै
सौसें धरती रावण सें भरलोॅ छै
आरो हम्में
अपना लेली ही तेॅ कानै छी
सोचै छियै
अŸोॅ- अŸोॅ रावण में हम्में कहाँ छी ।


4. युद्ध राम-रावण के चरम पर छेलै
रावणें बेटा मेघनाद केॅ
युद्ध में भेजी केॅ भगवान शिव सें पूछलकै
‘‘हमरा सें रुश्ट कैन्हें छोॅ शिवशंकर’’
शिव जी कहलकै- ‘‘केकरोॅ स्त्री के अपहरण करवोॅ
महापाप छेकै,
राक्षसोॅ के मरै सें बचावोॅ, वंशनाश केॅ रोकोॅ,
सीता केॅ लौटावो ,ॅ ’
रावण दुख सें भरलोॅ गोस्सा में बोललै....
ऊ वंश केॅ बचाय केॅ की होतै प्रभु
जेकरोॅ नाक
सीताहरण सें पैन्हेॅ कटी चुकलोॅ छै ।