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पराये मन की कौन सुने? / बलबीर सिंह 'रंग'

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पराये मन की कौन सुने?
अपनी पीर सभी को प्यारी,
पीर पराई क्या बेचारी;
मुक्ति-मंत्र जग को रुचिकर,
बंधन की कौन सुने?
पराये मन की...

लख कर मधु-ऋतु का नव-यौवन,
मचला करता सतत् समीरण;
मधुबन की मलयज सुनता,
निर्जन की कौन सुने?
पराये मन की...

कवि सबकी पीड़ा पहचाने,
कवि की पीड़ा कोई न जाने;
मिलन कथा सब सुने,
विथा बिछुड़न की कौन सुने?
पराये मन की...