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जातरी / निर्मल कुमार शर्मा

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छोड़ साथीडाँ रो साथ, छोड़ घर-परिवार
छोड़ गाँव चौबार, चल्यो जातरी
किण देस यो चाल्यो जातरी !!

खुशियाँ रंग रमियो साथ
काटी भेली दुःख री रात
टूटी आज पतवार
छोड़ बीच मझधार
बीर एकलो हुयो यो तो जातरी
किण देस यो चाल्यो जातरी !!

रौवे धरती- आकाश
रौवे सतरंगा साज
रौवे संगी-परिवार
बिळखे बैरी भी आज
नैणा बरसे है नीर
सुनों छोड़ सरवर तीर
होठां लिए मुस्कान चाल्यो जातरी
किण देस यो चाल्यो जातरी !!

काया नशवर जाण
जीवण आणी-जाणी मान
करियो परहित रो काम
मानखा ने मिनख जाण
सत करमां सूँ याद आवे जातरी
किण देस यो चाल्यो जातरी !!

छोड़ साथीडाँ रो साथ, छोड़ घर-परिवार
छोड़ गाँव चौबार, चल्यो जातरी
किण देस यो चाल्यो जातरी !!