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दोहा मन्दाकिनी, पृष्ठ-7 / दिनेश बाबा

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की करतै जाड़ां भला, जौं छै गरम लिवास
शीत नियंत्रित कक्ष में, जौने करै निवास

50
गर्मी केरोॅ फल छिकै, जाबुन, लीची, आम
लेकिन सालो भर मिलै, केला, डाब, लताम

51
‘बाबा’ जें सेवन करै, भोजन संग सलाद
स्वास्थ्य फलें उम्दा करै, खा, खैला के बाद

52
बदन उधारो मत रखो, बढ़ी रहल छै ठंढ
एक बेर लगथौं अगर, भोगे पड़थौं दंड

53
जिनका पर लागै सदा, बदनामी के दाग
सदाचार के अब वही, यहाँ अलापै राग

54
नरको छेलै कम सजा, वें भोगै छै स्वर्ग
पापी सब के ही अभी, बनलो छै संवर्ग

55
अरबों-खरबों के कना, हुवै घुटाला रोज
भारत नें पहली दफा, करनें छै ई खोज

56
व्यर्थ रमायण पाठ छै, बेरथ गीता-ज्ञान
‘बाबा’ गिरवी छै जहाँ लोगो के ईमान