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दोहा मन्दाकिनी, पृष्ठ-45 / दिनेश बाबा

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353
खान-पान बढ़िया हुवै, छिकै भोग आ भाग
उत्तम सेहत वासतेॅ, सेवन करियै साग

354
‘बाबा’ मछरी-माँस सें, परहेजे छै ठीक
उम्रदराजी पाय लेॅ, फल सेवन मधु छै नीक

355
स्वस्थ रहै के छै दवा, प्रात-भ्रमन आ योग
प्रानवायु बढ़बै उमिर, करियै नित उपयोग

356
स्वस्थ रखै, दै छै खुशी, सुख दै आठो याम
शीतल पवन बिहान के साथें, प्रानायाम

357
मीटो सेॅ मछरी भली, वहू सें नीको खीर
‘बाबा’ सादा भोजनें, राखै स्वस्थ शरीर

358
भोजन में कमती करो, मिट्ठो आरो नून
दाँत सुरक्षित रखै छै, नीमों के दातून

359
साफ सफय्यत वासतें, मंजन नै बेजाय
राहत लेली पेट के, हर्रे, सौंफ चिबाय

360
हिरदय केॅ बरियों करै, सबसंे अधिक पियाज
जौं रस गारी मधु संग, नित सेयै महराज