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दोहा मन्दाकिनी, पृष्ठ-46 / दिनेश बाबा

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361
प्याज रसो के साथ जें, मधु मिलाय नित खाय
दिल के बलशाली करै, दिल के रोग भगाय

362
जिनगी में हासिल सभी नैं सब्भै के होय
राम कृपा आ भाग सें, कुछ भी पावै कोय

363
सुख समृद्धि नै कभी, बिना जतन के होय
जौं हाथो में भाग्य के, रेखा मोटो होय

364
धन लछमी केरो कृपा, वहीं भाग सें पाय
जी जानों सें रात दिन, जौनें करै उपाय

365
निष्फल नैं होथौं कभी, जौनै करै प्रयत्न
रंग दिखाबै मिहनते, देथौं ‘बाबा’ रत्न

366
तीन गति धन के हुवै, दान भोग आ नास
दान करो, भोगी लिहो, नै तेॅ हुवै विनास

367
पंछी में सबसें चतुर, कहलाबै छै काग
विरहिन लेली छै प्रियो, जगबै छै अनुराग

368
कागा नंे गलगली करी, दै गेलै संदेस
विरहिन सोचै शुभ छिकै, पिया बसै परदेस