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दोहा मन्दाकिनी, पृष्ठ-63 / दिनेश बाबा

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497
अधिक अपेक्षा नै करो, बिगड़ै छै सम्बंध
लोभहीन आचार सें, निभै प्रेम अनुबंध

498
पंछी केॅ भी पेट लेॅ, करेॅ पड़ै छै काम
राम प्रभु केॅ करेॅ दहू, ‘बाबा’ कुछ विश्राम

499
डाँड़-पाल बिन जिन्दगी, ऐसैं बहलो जाय
देह-धर्म लेली सभे, मिलै जहाँ जे खाय

500
खाली-खाली जिन्दगी, बिना पाल के नाव
‘बाबा’ जैथौं वै दिशा, जहाँ मिलै सद्भाव

501
गूँजै छै जब भी कहीं सहनाई के सोर
‘बाबा’ टूटै आ जुड़ै, कहीं प्रीत के डोर

502
सतप्रतिशत विपरीत छै, ‘बाबा’ जहाँ समाज
होतै कना सुधार के, वहाँ कोय भी काज

503
डाॅन डाॅन में जब कभी, लागै छै आरोप
‘बाबा’ तनलो होय छै, वहाँ परस्पर तोप

504
के ककरा की कहै छै, बंद करी ला कान
‘बाबा’ दिल जे भी कहौं, वै ठो कहवो मान