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हाइकू कविताएँ / कैलाश झा ‘किंकर’

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1
दोस्ती केॅ हाथ
हजार केॅ हजार
तैय्यो कंगाल।

2
कवि केॅ हाल
केॅ पूछै लेॅ बैठल
मरोॅ कि जीओॅ।
3
स्याही केॅ क्रांति
अहिंसक लड़ाय
एक्के उपाय।

4
अप्पन दोष
नजर नै आबै छै
विचित्र बात।

5
सौंसे दुनिया
जिन्दा छै प्रकृति सेॅ
पर्यावरण।

6
धन सम्पत्ति
ऐतें-जैतें रहतै
रिश्ता बचबोॅ।

7
मौका मिलतें
बदलै छै आदमी
टपकै लार।
8
झेलै छै ठंढ़ी
धूप आरू बरसा
नंगे बदन।


9
ढूँढ़ै पति मेॅ
अनुपतम व्यक्तित्व
सब्भे औरत।

10
माल-मवेशी
समृद्धि के द्योतक
घी, दूध, दही।

11
आपसी फूट
करै छै कमजोर
मिल्लत राखोॅ।

12
आदर्श ब्याह
सर्वोत्तम सम्बन्ध
छोड़ोॅ दहेज।

13
ऐलोॅ बुढापा
हजार रोग लेने
चलै केॅ बेला।

14
अपहरण
उद्योग बनि गेलोॅ
हे दशानन।