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गजल कहो आसान नहीं है / अमरेन्द्र

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गजल कहो आसान नहीं है
लेकिन यह वरदान नहीं है

गजल बयां की बारीकी है
रुक्नों का अरकान नहीं है

अपना दुख तो कलियुग जैसा
दो दिन का मेहमान नहीं है

जीवन मेरा एक कहानी
जिसका कुछ उनवान नहीं है

खून हुआ सब चुप हैं वैसे
कातिल पर अनजान नहीं है

जब तक चाहो सुख से रह लो
दिल, है अफगानिस्तान नहीं है

मारोगे तो रोएगा ही
अमरेन्दर भगवान नहीं है।