भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जूण जातरा / संजय पुरोहित
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:05, 26 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संजय पुरोहित |अनुवादक= |संग्रह=था...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मिरतू जातरा
रेलगाडी री भांत
टेसण-टेसण पड़ाव
जंक्सन ठिकाणां
भाजता रूंख
छूटतो कडूम्बो
धूळ रा बादळ
विचारां री झड़ी
बणता बिगड़ता
निजर सूं दूर उड़ता
आस रा धोरा
जूण रा गेड़ा
पुळ-अंधड़-सुरंग
पण फेर भी आस
सांतरी आस
कै म्हारी जातरा होवैली पूरी
पूरो है ओ म्हारो विसवास
जिनगाणी री आ छुक-छुक
म्हारी जूण चौपड़ी में
मांडैली आगै रो ठिकाणों
बो ठिकाणों
म्हारै विसवास रो।