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बेटी रा घर / धनपत स्वामी
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बाखळ में है बेकळू
बिरखा होंवता ई
टाबरां साम्हीं परगटै
चूरमै दाई बेकळा
पछै तो बा आवै
टाबरां रै हाथ लाग
ठेट साळ में
साळ में ई बणन ढूकै
बेटी रै हाथां
उण रै मनभांवता घर।
हाथी-घोड़ा
रेल-मोटर
सगळा चालै साळ में
उण नै पण ठाह नीं
सड़क अर चीलां रो
अणकूंत खरच।
आज तो म्हैं देख्यो
जहाज उड़ावै ही बा
साळ में ई
दड़ाछंट।
अचाणचक आई
साळ में उड़ती चिड़कली
चांच रा घोचा
तूंप दिया उण
ऊंची छात रै सैंथीर में
म्हनै लखायो
आभो तो है
म्हारी साळ में भी।