Last modified on 27 जून 2017, at 22:38

रड़कै प्रीत / हनुमान प्रसाद बिरकाळी

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:38, 27 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमान प्रसाद बिरकाळी |अनुवादक= |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

घर री
मान मरजादा
बाप री आण
पाघ री कांण
रोप दियो पग
आंख्यां में पण
सुपनां कुंआरा।

आंख्यां ढळकै
गरळ-गरळ आंसूड़ा
दिखण में दिखै
घर रो मोह
रड़कै पण प्रीत।