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डांखळा 2 / विद्यासागर शर्मा
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(4)
गंजे पाड़ौसी सूं राड़ राखतो 'प्रसून'
बदलो लेवण खातर बीं'रै चढेड़ो हो जनून
मंदर जणा जातो
मन्नतां मनातो
हे भगवान! गंजै नै दे तीखा सा नाखून।
(5)
नौ बच्चां रो बाप हो बाबूसिंह 'गगरेट'
घरआळी नै पोणी पड़ती रोटियां री पूरी जेट
गांव में मशीन लागी
घरआळी री किसमत जागी
एक रोटी पो'र बीं री करवा लेती फोटोस्टेट।
(6)
जान में गयो जणा राजलदेसर जोतो
मान्यो कोनी जिद कर'र सागै चढग्यो पोतो
छोरो के हो काग हो
तरीदार साग हो
मटर ल्यायो काढ लगा कटोरी में गोतो।