Last modified on 28 जून 2017, at 12:46

मिनख है / मधु आचार्य 'आशावादी'

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:46, 28 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मधु आचार्य 'आशावादी |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

उणनै बाळपणै सूं देखूं
ना मुळकै
ना रोवै
ना देखै
ना कीं कैवै
सीधो आवै, सीधो जावै,
कोई कीं टुणका न्हाखै
तो तिरछी निजरां सूं देखै
अर मुड़ ‘र निकळ जावै
काल तो अेक जणो
अचाणक आयो
पकड़यो
अर अेक झापड़ मारग्यो
बो खाली देखतो रैयग्यो
इयां लागतो
जाणै बो मिनख नीं है
है खाली रूंख
टैम पर ई बोलै
अर
मन रा राज खोलै।