भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आकार / ओम पुरोहित ‘कागद’
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:09, 28 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’ |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
कुण साकार
कुण निराकार
थकां भूख
भूख ई
पसरै-सांवटीजै!
भूख
अन्न री
धन्न री
मन री
ग्यान री
ध्यान री
परमाण री
कदै'ई निराकार
कदै'ई साकार
भंवै जगती में
भंवती भूख!