भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बगत : चार / ओम पुरोहित ‘कागद’
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:13, 28 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’ |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
बगत माथै ई
काम आवै
बगत रा ओळाव
पण
ओळाव रो ई
बगत नीं मिलै तो
किंयां लेईजै
सांवठा ओळाव!
बैरी कुण
आंवती हूण रो
बगत रो ओळाव
का पछै
ओळाव रो बगत!