बगत : चार / ओम पुरोहित ‘कागद’

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बगत माथै ई
काम आवै
बगत रा ओळाव
पण
ओळाव रो ई
बगत नीं मिलै तो
किंयां लेईजै
सांवठा ओळाव!

बैरी कुण
आंवती हूण रो
बगत रो ओळाव
का पछै
ओळाव रो बगत!

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