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छोरी : तीन / ओम पुरोहित ‘कागद’

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डागळै माथै
उडता किन्ना
लड़ता पेच
कटता किन्ना
देख हांसी
पगां कूद-कूद
बजाई ताळी
बापू दी दाकल
मा लढकाई
बीरो हाल नीं बोलै
इण बात पर!