Last modified on 28 जून 2017, at 17:48

म्हारी मा / मधु आचार्य 'आशावादी'

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:48, 28 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= मधु आचार्य 'आशावादी' |संग्रह=अमर उ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

उणरै धीरज नै लखदाद
पग सूं लातां मारी
केई बार
हियै मांय ई
भरिया चूंठिया
पण उणनै नीं आई रीस
मुळकती ई रैयी
उणरै चेहरै माथै
नखां सूं मांडया
केई निसाण
खून काढयो बार -बार
पण
बा नीं रोई
म्हनै ई रोवतै नै
हाथ सूं थपक्यां देय ‘र
नींद दिराई
साची कैवै लोग
खुद तकलीफ उठाय दूध पावै
हर मार नै सह जावै
जणै इज तो बा
मा कहावै ।