Last modified on 29 जून 2017, at 07:56

टाबर - 4 / दीनदयाल शर्मा

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:56, 29 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दीनदयाल शर्मा |अनुवादक= |संग्रह=र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

खेलणियौ तोड़तांईं
पड़ै
टाबरां रै थाप
अर सुणणी पड़ै
बानै
उळ्टी-सीधी झिड़क्यां
मा-बाप री

कै इत्तौ
मूंगौ खेलणियौ
तोड़ दियौ
ल्यांवतांईं

खेलणियै सारू
टाबरां री
अबूझ आडी नै
कुण सुळझा सी

उतर'र
आ सी कांईं
आभै सूं
कोई औतार।