भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

किरसाण.. / दीनदयाल शर्मा

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:30, 29 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दीनदयाल शर्मा |अनुवादक= |संग्रह=र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

खेत मांय
इन्नै-उन्नै
गिणती रा
बळ्योड़ा सा
बाजरी रा बूँटा

अर
काचर-मतीरड़्यां री
अळसायोड़ी बेलां नै
निरखतौ-पळूंसतौ
सियाळै-उन्याळै
ठरतौ-बळतौ
चळू-चळू सींचतौ

टाबरां नै
पधेड़्यां चढायां
टैम-बेटैम बिलमांवतौ
बावळैतरियां
उभाणै पगां भाजतौ
अर आँख्यां फाड़तौ

इण रेत रै
संमदर मांय
कांईं जोवै


नान्ही सी ज्यान

मुड़दल सो किरसाण ।