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टाबर-१ / दुष्यन्त जोशी

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आपां
बणावां जातपाँत
आपां माना
जातपाँत
आपां
आपणी निजरां में
घणां लूंठा हां

पण टाबर
नीं मानै जातपाँत
टाबर
पिछाणै खाली मिनखपणौ

पण टाबर नै
कुण जाणै !