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फगत एक नजरमा कसैले लियो मन / केशवराज पिँडाली

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फगत एक नजर म कसैले लियो मन
जति बिर्सूँ भन्छु उति सम्झने झन्

प्रथम भेट मै भित्र कुत् कुत् उठेथ्यो
नजर के झुकेथ्यो कदम के रुकेथ्यो
नजानी नजानीकनै लठ्ठियो तन
फगत एक नजरमा कसैले लियो मन


नयाँ प्रीत रे यि नयाँ गीत रे यो
कुनै मीतको जीतको रित रे यो
छछल्क्यो जवानी झझल्की नयाँपन
फगत एक नजरमा कसैले लियो मन