भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

टाबरां री मुळक / मदन गोपाल लढ़ा

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:49, 9 जुलाई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा |अनुवादक= |संग्रह=च...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दीन-धरम
जात-पांत
वतन अर भासा सूं
कोनी सरोकार
म्हारै सारू
बै फगत
ड्राइवर-खलासी है
म्हारा मा-जाया भाई-सा
जकां री अेक हामळ में
लुक्योड़ी है-
म्हारै टाबरां री मुळक!