Last modified on 9 जुलाई 2017, at 16:52

गळी रो उच्छब / मदन गोपाल लढ़ा

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:52, 9 जुलाई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा |अनुवादक= |संग्रह=च...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

भोर सूं आथण तांई
आखै दिन
साधनां री चिल्ल-पौं
धुंवै अर धूड़ रा गुब्बार
ओपरै मिनखां री आवाजाई बिचाळै
कळजायेड़ी गळी रो अंतस
हरखीजै
जद उणरै आंगणै
बास रा टाबरिया
रमै क्रिकेट-चिड़ीबल्लो।

टाबरां रो रमणो
उच्छब है-
गळी सारू।