भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तुम्हारे लिए / चंद्रभूषण
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:36, 14 जून 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चंद्रभूषण }} बादलों तक विचरती य' पतंग तुम्हारे लिए दि...)
बादलों तक विचरती
य' पतंग
तुम्हारे लिए
दिल में हुलस-हुलस उठती
य' तरंग
तुम्हारे लिए
मेरी देह
य' सरग नसैनी
तुम्हारे लिए
मेरी आत्मा
य' अगम बेचैनी
तुम्हारे लिए