भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
इण सोधा-साधी में ई / मदन गोपाल लढ़ा
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:20, 9 जुलाई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा |अनुवादक= |संग्रह=च...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
अणथाग भीड़ में
साव अेकलो हूं म्हैं
मेळै में घर वाळा सूं
बिछड़्योड़ै टाबर दांई
चितबगनो।
सोधूं-
कोई सैंधो उणियारो
कदास म्हनैं ई
सोधतो हुवैला कोई
इणींज भांत।
कांई ठाह
इण सोधा-साधी में ई
कद बीत जावैला
आ जिनगाणी।