भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कोनी फोरी पूठ / मदन गोपाल लढ़ा
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:23, 9 जुलाई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा |अनुवादक= |संग्रह=च...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
बै मिनख हा
जका अबखाई में
सागो छोड़़ग्या।
रिंदरोही में
कोनी फोरी पूठ
दरखतां
बायरो अर
ओळूं
ठेठ तांई
सागै रैय'र
निभायो धरम
छेकड़ली सांस तांई!