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जलन / गोमा

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जब यो भवमा जन्म लिएथें, दुःखले छायो जीवन भर
मैले रत्तिभर गर्न सकिन, सुखमय यो संसार
कसरी छाडूँ मेरो प्राण, चीर निद्रामा सुताई
माफ राख भगवान् तिमी, दीन-दुखीको दुःखदायी
राक्षस हूँ म राक्षस हूँ, जगकी एउटी पापी हूँ
महा अनन्त कालकी, एउटी दुःखी अबला हूँ
कुन ईश्वरले जन्म दियो हा, यो सुखमय संसारमा
कुन निर्दयले दुःख दियो हा, मेरो कोमल जीवनमा
यस शून्य मन-मन्दिर मेरो, गर है भगवान् आदर
दृष्टि राख्न यस पापी उपर, नगरन फेरि अनादर !

(पद्य संग्रहबाट)