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हमरोॅ धरती / मथुरा नाथ सिंह 'रानीपुरी'

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फुनगी चमकै मोती-दाना
धरती आज उदास रे
टप-टप चूवै छानी-छप्पर
सुखलॉ लागै घास रे॥
लाज लजावै धरती रानी
हेरि अन्हेरिया सास रे
यहो डैनियाँ खैलकै किरिया
सगरो लाशे-लाश रे॥
घरो उजारकै बिटिया खौकी
कैसें करबै वास रे
नीड़ उजारी आग लगैबै
करबै एकरो नाश रे॥