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कोनची लिखिऐ कोनची नै / विजेता मुद्‍गलपुरी

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कमबे गेल पिया परदेश
अब तक ने कोनो संदेश

पास-परोसिन सब पुछै छै, कुच्छो भेजै छो कि नै
कोनची कहिऐ कोनची नै

बरस गुजरलै उनका गेल
तरसै छी एक चिट्टी लेल
कैसूँ ना दिन काटि रहल छी कुछ आबै समझे नै
कोनची कहिऐ कोनची नै

करजा वाला तंग करै छै
बात कहै छै धमकी दै छै
उगले लागल आग मूँह से जैसें सुनलक अखनी नै
कोनची करतै कोनची नै

मोन मंगरूआ के खराब छै
केकरो देह पर बस्तर नै छै
दबा-बिरो काहाँ से ऐतै, घर में संझको खरची नै
कोनची रिन्हवै कोनची नै

घर के भीता से दरकल छै
खटिया बल पर ठाठ टिकल छै
रिस्तो सब ऐसीं दरकल छै, दोसर कोय उपाइये नै
कहिया गिरतै कहिया नै

केकरा कहिऐ मन की बात
केन्ना काटै छी दिन-रात
दुख के बात औराबै ने छै, कुछ रहलै ओरियाइये नै
कोनची लिखिए कोनची नै