भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कानून-राज / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:56, 11 जुलाई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चन्द्रप्रकाश जगप्रिय |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
हथिनी नें
हाथी सें पूछलकै-
कहीं फिरू, तोंय शराब तेॅ नै पी ऐल्हैं ?
वै पर हाथी कहलकै-
नै तेॅ
कानून शराब बेचै पर
आरो पीयै पर रोक लगाय देलकै
हमरा मोॅन पर तेॅ नै
हम्मेेॅ बिना पील्है मस्त छियै ।
शराब बिक रहलोॅ छै
मिल रहलोॅ छै पैहले नाँखि
यहेॅ सुनकेॅ ।