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झकसी / अनिल शंकर झा
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आबी गेलै झकसी के दिन फनू घुरि फिरि
आबी गेलै मेघराज हवा पेॅ सबार हो
आँखी आगू तार बुनै, नै छै आर-पार सूझै
दुखिया रॅ दिन होलै खोजरी पहार हो
छपरी अकास लागै घरवा बैहार लागै
ओसरा दलान होलै सुअरी खोहार हो
भभरी भभरी गिरै देबारी के मांटी झरै
हहरी हहरी करै दुखिया गोहार हो