प्रेम का स्पर्श / माया एंजलो / अनुराधा सिंह
(माया एंजेलो की कविता ‘टच्ड बाइ एन एंजेल’ का अनुवाद)
हम जो डरने के अभ्यस्त हैं
हम जो सुखों से वंचित रहे हैं
हम तब तक कुण्डली मारे
अपने खोलों में दुबके पड़े रहते हैं
जब तक
प्रेम हमें मुक्त करने के लिए
अपने अलौकिक देवस्थान से
स्वयं नहीं उतर आता है
प्रेम जब आता है
तो उसकी बग्घी में साथ आते हैं
थोड़े से अलौकिक सुख
और विगत सुखों की स्मृतियाँ
लेकिन साथ ही दारुण पीड़ा के लेखे-जोखे भी
फिर भी यदि हम प्रतिबद्ध हैं तो
प्रेम हमारी आत्मा से
दासता की सब बेड़ियाँ तोड़ फेंकेगा
उसकी दूधिया रोशनी ने ही
जबरन हमें कायरता से अलग किया है
क्या हुआ कि जब हम प्रेम करने की
हिम्मत जुटा ही रहे थे
हमने पाया
कि प्रेम तो बहुत महँगा है
यह हमसे हमारा सब ले लेगा
लेता ही रहेगा
आज भी और आगे भी
हम यह भी तो जानते हैं
कि एकमात्र प्रेम ही
वह मार्ग है
जो हमें मुक्त कर सकता है ।
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनुराधा सिंह