भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
केही कम गर कुरा बरिलै / राजेश्वर रेग्मी
Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:35, 16 जुलाई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेश्वर रेग्मी |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
केही कम गर कुरा बरिलै
नचलाऊ बिन्ती छ छुरा बरिलै
तिमी त सत्तामा पुग्यौपुग्यौ
कसले पाल्छ टुहुरा बरिलै
अहो ! सारा सपना तिनका
भई गए अधूरा बरिलै
शायद अब भुल्न चाहन्छौ
फुटेका एकेक चुरा बरिलै
काँधमा आएको यो दायित्व
गर्नु पर्नेछ पूरा बरिलै