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संकल्प हाम्रो फलोस् / लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा

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संसारै घुमियो भएर विषयी मीठो विषै पो पिएँ,
लेख्थें धेर वितर्क तर्क मनमा उल्टो भई पो जिएँ,
आयो धेर तनै प्रलय भो आगो जल्यो लौ जलोस्,
भावै मात्र फिंजे तथापि ‘सबकोकल्प्सङहाम्रो फलोस्’ ।