धर्म में भगवान होते हैं
या भगवानों के भी अपने कुछ धर्म ?
क्यों मरना पड़ता है
क्यों जन्म लेना पड़ता है भगवान को भी ?
क्या जड़ ही दीर्घायु होते हैं
अपने को और अधिक गुलाम बनाने के लिए
भगवान ही हमारा सर्वोच्च मालिक क्यों हो ?
जबकि जन्म हमने लिया,मरना हमें है
क्या हमारी समस्याएं ही उसके होने का आधार हैं ?
या मनुष्यों की तरह भगवान को भी वैविध्य पसंद है ?
अगर ऐसा है तो भगवान !
तेरा मनुष्य होना बहुत पसंद आया मुझे ।