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ब्रह्मर्षि पद प्राप्ति / रामधारी सिंह ‘काव्यतीर्थ’

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सोची विचारी केॅ हुन्हीं कहलकै,
तपोबल ही छेकै दोन्हु के कारण
राज, लक्षमी, सुख भोग तजि केॅ
करलकै तपस्वी रूप धारण

उग्र तपस्या करी केॅ हुन्हीं
सिद्धि प्राप्त करी लेलकै
सब्भे लोकोॅ केॅ आपनों तेज सेॅ,
लबालब तेॅ भरिये देलकै

ब्राह्मणत्व तेॅ पाविये लेलकै,
इंद्र संगे सोमपानों करलकै
सृष्टि रचै के शक्ति पैलके,
ब्रह्मर्षि के पदोॅ भी पैलकै