भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
राम सेवक / अनवर ईरज
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:25, 16 जून 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनवर ईरज }} यक़ीन जानो तुम राम सेवक नहीं थे जब तो ऎसे न...)
यक़ीन जानो
तुम
राम सेवक नहीं थे जब
तो ऎसे नहीं थे
राम सेवा तो नफ़रत
बढ़ाती नहीं
राम सेवा तो हत्या
कराती नहीं
राम सेवा
दरिंदा बनाती नहीं
तेरा
राम सेवक का दावा
बहुत खोखला है
ओ
रावण के सैनिक
मुखौटा हटाओ
ज़माने को अपना मकरूह
चेहरा दिखाओ