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मायाजाल / सिनान अन्तून
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तुम्हारे होंठ
जैसे एक गुलाबी तितली,
उड़ती हुई
एक लफ़्ज़ से
दूसरे लफ़्ज़ को,
और मैं भागता हुआ
उनके पीछे
ख़ामोशी के
बग़ीचे में।
(काहिरा - जून 2003)
अँग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल