भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रेम में हूँ इसलिए / राकेश रोहित
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:02, 24 अगस्त 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राकेश रोहित |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मैं प्रेम में हूँ
इसलिए बेवकूफ हूँ।
मैं दुख में हूँ
इसलिए सिकुड़ा हुआ हूँ।
मैं जागता हूँ
तो रोता रहता हूँ
मैं नींद में हूँ
इसलिए डूबा हुआ हूँ।
तमाम फैले ज्ञानी जन
तैरते रहते हैं जल में
मैं कवि हूँ
इसलिए तल में हूँ।