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करम ख़ुदा का है सब पर / देवी नागरानी

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ये सायबां है जहां, मुझको सर छुपाने दो

करम ख़ुदा का है सब पर, वो आज़माने दो.


जो दिल के तार न छेड़े थे हमने बरसों से

उन्हें तो आज अभी छेड़ कर बजाने दो.


ख़फा न तुम हो किसी से भी देखकर कांटे

कि फूल कहता है जो कुछ, उसे बताने दो.


कभी तो दर्द भुलाकर भी मुस्कराओ तुम

न दर्द के वो पुराने कभी बहाने दो.


ख़फ़ा हुई है खुशी इस क़दर भी क्यों हमसे

ग़मों का जश् ने-मुबारक हमें मनाने दो.


उदासियों को छुपाओ न दिल में तुम ‘देवी’

कभी लबों को भी कुछ देर मुस्कराने दो.