Last modified on 12 सितम्बर 2017, at 16:28

सवारियाँ / लालसिंह दिल / सत्यपाल सहगल

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:28, 12 सितम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लालसिंह दिल |अनुवादक=सत्यपाल सहग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सवारियाँ
जिनका सामान
पीछे छूट गया।

तेज़ दौड़ती गाड़ी के
दरवाज़े पर खड़ीं
उतरने के बारे में सोचतीं
कोई सपनों जैसा सामान।

मूल पंजाबी से अनुवाद : सत्यपाल सहगल