भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आँखोंवाला / लालसिंह दिल / सत्यपाल सहगल
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:35, 12 सितम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लालसिंह दिल |अनुवादक=सत्यपाल सहग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
आँखों वाला देख रहा था
कि तगड़े ने कमज़ोर के
खेत में पानी छोड दिया है
मुर्गी फ़ार्म का गन्दा पानी
तब तक बहता रहेगा
जब तक वह उसे सस्ते भाव बेचकर
एक तरफ़ नहीं होता।
आँखों वाला देख रहा था
पर वह चुप था
और पक्षपात कर रहा था।
मूल पंजाबी से अनुवाद : सत्यपाल सहगल