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जागि गइल देस के किसानवां / विजेन्द्र अनिल

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जागि गइल देस के किसानवाँ,
               बिहानवां में देर नइखे भइया।

    रखिया के ढेर से उड़ल चिनगरिया
    सागर के पेटवा में दहकल अंगरिया
धधकल गाँव के सिवानवाँ,
               बिहानवां में देर नइखे भइया।

    बूढ़-बूढ़ फेंड़वन में लाल-लाल टूसवा,
    सहमल अमेरिका, सहमि गइल रूसवा,
लाल हो रहल आसमानवाँ,
               बिहानवां में देर नइखे भइया।

    ललकी किरिनियां से दरकल अन्हरिया,
    गँउवा के ओर ताके दिलिया सहरिया,
चिहकल रानी के कँगनवा,
               बिहानवां में देर नइखे भइया।

    बूटवा बरदिया के गुजरल जबानवाँ
    हँसुआ के धार भइली गाँव के जनानवाँ,
जुलुमिन के नाक में परानवाँ,
               बिहानवां में देर नइखे भइया।

    ललका निसानवाँ से काँपे रजधनिया
    ठाकुर बेहाल, केहू करी ना गुलमिया,
हाथवा में तीरवा-कमानवाँ,
               बिहानवां में देर नइखे भइया।

    कोटवा कनूनिया के मरलस लकवा
    सुरूज के जोति भइल सँउसे इलाकवा
भेंड़ियन के मानि में मातमवा,
               बिहानवां में देर नइखे भइया।

जागि गइल देस के किसानवाँ,
               बिहानवाँ में देर नइखे भइया।
                               
रचनाकाल : 25.2.1981