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काहे होखत बाड़ू अतना अधीर धनिया / विजेन्द्र अनिल

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केकरा से करीं अरजिया हो,
सगरे बटमार।

           राजा के देखनीं, सिपहिया के देखनीं
           नेता के देखनीं, उपहिया के देखनीं,

पइसा प सभकर मरजिया हो,
सगरे बटमार।

           देखनी कलट्टर के, जजो के देखनीं
           राजो के देखनीं आ लाजो के देखनीं,

कमवा बा सभकर फरजिया हो,
सगरे बटमार।

           देस भइल बोफर्स के तोप नियन सउदा
           लोकतंत्र नाद भइल, संविधान हउदा,

कइसे भराई करजिया हो,
सगरे बटमार।

           छप्पर गो छूरी से गरदन रेताइल
           साँपन के दूध अउर लावा दिआइल,

गाई जा नयका तरजिया हो,
सगरे बटमार।
केकरा से करीं अरजिया हो,
सगरे बटमार।
                         
रचनाकाल : 07.2.1988