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हमनी साथी हईं / रमाकांत द्विवेदी 'रमता'

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हमनी देशवा के नया रचवइया हईंजा।
हमनी साथी हईं, आपस में भइया हईंजा।

हमनी हईंजा जवान, राहे चलीं सीना तान,
हमनी जुलुमिन से पँजा लड़वइया हईंजा।

सगरे हमनी के दल, गाँव-नगर हलचल,
हमनी चुन-चुन कुचाल मेटवइया हईंजा।

झण्डा हमनी के लाल, तीनों काल में कमाल,
सारे झण्डा ऊपर झण्डा उड़वइया हईंजा।

बहे कइसनो बेयार, नइया होइए जाई पार,
हमनी देशवा के नइया के खेवइया हईंजा।

रचनाकाल : 01.05.1985