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अंगिका मुकरियाँ-7 / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'
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हँसमुख चेहरा भारी गीत,
जेहे सुनलकै भेलै मीत।
खिच्चा बात दिलो सें खीरा,
की हिय तुलसी? न पिय ‘हीरा’।
जनमलै बक्सा सें बैताल,
आगमहल में गेरुआ लाल।
ताजमहल सँ भागलै डीठा,
की हिय सिनूर? नै पिय ईटा।
ऐंगना लागै उबर-खाबर,
घर के मुरगी दाल बराबर।
दोनों कुल केॅ पड़लै पाला,
की सखि बोतल? नै सखि हाला।
तीनपहिया के एक मचान,
पों-पों दौड़लै हिन्दुस्तान।
पैडिल के पीठोॅ पर बक्सा,
की हिय टेम्पू? नै पिय रिक्सा।
कहाँ पफुदकना कहाँ चहकना,
के चुनतै खुद्दी के दाना।
छप्पर-गाछ बिलैलै सगरो,
की हिय मैना? नै पिय बगरो।