भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मैं इसी प्रतीक्षा में हूँ / तुलसी पिल्लई

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:54, 16 सितम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तुलसी पिल्लई |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नदियों से
नदियाँ मिल जाती है
पेड़ो से
लता लिपट जाती है
लेकिन
तुम क्यों हो मुझसे अलग-अलग?
मेरी परछाई बनकर
चलते हो
तुम क्यों मुझसे अलग-अलग?
तुम्हारे साथ
कल्पनाओं के
दरिया में डूबकर
जीवन जी लेती हूँ
लेकिन
वास्तविकता होती है
अलग-अलग
क्या तुम मुझे मिलोगे?
क्या मेरे उपवन में
तुम्हारे प्रेम के पुष्प खिलेंगे?
लेकिन
यह मेरी सोच है
तुम्हारी भी सोच होगी
अलग-अलग
पता नही?
यह सम्बन्ध कैसा है?
तुमने मुझ प्रेमपाश मे
छुप्पा लिया है
लेकिन
मैं हूँ
तुमसे अलग-अलग
इस वियोग का अन्त कब होगा?
क्या मेरे जीवन में?
तुम्हारे प्रेम की बाहार आयेगी
मैं इसी प्रतीक्षा में हूँ ।