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बाल गीत / मनीष कुमार गुंज

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चुपेें रे नूनू रे चूप रे, तोरा हटिया में देबौ घुपचुप रे

पाँव भरी टिकरी देबौ, आरो रसगुल्लं
पीवी लीहं पानी बेटा करी लीहें कुल्ला
अखनी दूपहरिया छै धूप रे....
तोरा हटिया में देबौ घुपचुप रे।

दू रूपा के दालमोट एक रूपा के चाना
माघी पूर्णिमा में अैतौॅ नानी-नाना
हड़िया में दही उपे उप रे
तोरा हटिया में देबौ घुपचुप रे।

केना सम्हाराैं नूनू चर-चर गो बेटा
केकरा दुलारौै केकरा मारौं चमेटा
मैया के झक-झक छौ रूप रे
तोरा हटिया में देबौ घुपचुप रे।