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इज़्ज़तपुरम्-80 / डी. एम. मिश्र

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श्वासों की गति-
शेष जीवन विलुप्त
कुछ पुर्जे काम के
बाकी पस्त

अभिनव आनन्द
चरमोत्कर्ष पर
जीभ-जाँघ-तलवे के
भूगोल में निमग्न

पशु यौन क्रियाओं में
अमानुषिक क्रूर लिप्ति
मैदान दो अंगुल
रस्साकसी भीषण
हवाओं के रुख पर
अँजुरी भर स्वेद
ओठों पर
झाग और फेन
सर से लेकर पाँव तक
चिपचिपायी चाँदनी

कुत्ते तो कुत्ते
गायों के बछड़े अब
हड्डी में मुँह मारें